धरती माता को नमन! (पहला वे) जो आपके द्वारा निर्मित, (दूसरा) वे जो आप में घूम रहे हैं, (तीसरे) वे दो-पैर वाले और (चौथे) वे चार-पैर वाले; (सब) जिसे तुम नश्वर भूमि में धारण करते हो, पाँचवाँ मानव है, जिससे अमरता का प्रकाश (सम) मृत्युलोक से निकलता है, जिसे हे धरती माता, तुम उगते हुए सूर्य की किरणों से (अर्थात्) फैलाते हो। अमरता का सार आप में व्याप्त है)। ॥ १५॥
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