दर्शनभेद - दर्शन दो प्रकार का होता है- स्वाभाविक और प्रायत्निक जो दर्शन सहज भाव से हो, वह स्वाभाविक है और जो उपायों द्वारा सम्भव हो, वह प्रायत्निक है ॥५॥
दर्शनभेद - दर्शन दो प्रकार का होता है- स्वाभाविक और प्रायत्निक जो दर्शन सहज भाव से हो, वह स्वाभाविक है और जो उपायों द्वारा सम्भव हो, वह प्रायत्निक है ॥५॥