सत्सङ्गाच्छनकैः सङ्गमात्मजायात्मजादिषु । विमुच्येन्मुच्यमानेषु स्वयं स्वप्नवदुत्थितः ।। ७-१४-४ ।।
Thus one should gradually become detached from affection for his wife and children, exactly like a man awakening from a dream. ।। 7-14-4 ।।
english translation
इस प्रकार मनुष्य को चाहिए कि वह धीरे-धीरे अपनी पत्नी तथा सन्तानों के स्नेह से उसी तरह विरक्त होता रहे जिस प्रकार जाग जाने पर मनुष्य स्वप्न से विरक्त हो जाता है। ।। ७-१४-४ ।।