बाह्ये च वासगृहे सुश्लक्ष्णभयोपधानं मध्ये विनतं शुक्लोत्तरच्छदं शयनीयं स्यात् । प्रतिशयिका च तस्य शिरोभागे कूर्यस्थानम् वेदिका च तत्र रात्रिशेषमनु- लेपनं माल्यं सिक्थकरण्डकं सौगन्धिकपुटिका मातुलुङ्गत्वचस्ताम्बूलानि च स्युः । भूमौ पतद्ग्रहः । नागदन्तावसक्ता बीणा चित्रफलकम् वर्तिकासमुद्गकः । यः कक्षित्पुस्तकः कुरण्टकमाला नातिदूरे भूमी वृत्तास्तरणं समस्तकम् आकर्ष- फलकं द्यूतफलकं च । तस्य बहिः क्रीडाशकुनिपज्ञ्जराणि एकान्ते च तक्ष- तक्षणस्थानमन्यासां च क्रीडानाम्। स्वास्तीर्णा प्रेङ्गादोला वृक्षवाटिकायां सप्रच्छाया स्थण्डिलपीठिका च सकुसुमेति भवनविन्यासः ॥ ४ ॥
The antechamber, outside the private apartments, must be vast, pleasant, with a wide divan in the center covered with a white cloth. Close to this great bed, another similar one shall be placed, for the games of love.
english translation
गृहसज्जा निवासगृह के महाप्रकोड में नर्म और मुलायम (गद्देदार) पर्यङ्क (प बिछा हुआ होना चाहिये जो बीच में झुका हो उस पर सफेद धुली हुई चादर बिछी हुई हो और सिरहाने एवं पायताने दोनों ओर तकिये लगे हुए हों। पर्यङ्क के पास एक छोटी एवं सबित चारपाई रतिकर्म के लिए होनी चाहिये। उस पर्यक के सिरहाने कूर्यस्थान पर, समान ऊँचाई पर वेदिका होनी चाहिये। उस वैदिका पर रात्रि का अवशिष्ट अङ्गराग, पुष्पमालाएँ, मोमबत्ती, सुगन्धित पदार्थों की टोकरी (बाँस की छोटी डलिया), मातुलुङ्ग की छाल और पान रखे हुए हों। चारपाई के निकट भूमि पर पीकदान रखा हुआ हो। हाथीदाँत को खूँटी पर वीणा लटकी हुई हो। चित्र बनाने का फलक (कैनवस), कूँची (तूलिका) और रङ्गों के डिब्बे हों, कुछ पुस्तकें हों, और शीघ्र न मुरझाने वाली कुरण्टक पुष्प की माला हो। पास ही भूमि पर गोल आसन बिछा हुआ हो जिसके पीछे मसनद (गोल तकिया) लगा हुआ हो। द्यूतक्रीड़ा के लिये आकर्षफलक और द्यूतफलक हों। उसके बाहर क्रीड़ापक्षी (शुकसारिका आदि) पिंजड़ों में टैगे हुए हों। एकान्त में दारुकर्म (बढ़ईगिरी) तथा अन्य मनोविनोदों के लिए स्थान हों। वृक्षवाटिका में सघन छाया वाले लतामण्डप में झूला पड़ा हुआ हो। वहाँ बैठने के लिये पुष्पों से युक्त वेदिकाएँ या चबूतरे (बैंच) बने हों इस प्रकार भवन-विन्यास समाप्त हुआ ॥ ४ ॥
hindi translation
bAhye ca vAsagRhe suzlakSNabhayopadhAnaM madhye vinataM zuklottaracchadaM zayanIyaM syAt | pratizayikA ca tasya zirobhAge kUryasthAnam vedikA ca tatra rAtrizeSamanu- lepanaM mAlyaM sikthakaraNDakaM saugandhikapuTikA mAtuluGgatvacastAmbUlAni ca syuH | bhUmau patadgrahaH | nAgadantAvasaktA bINA citraphalakam vartikAsamudgakaH | yaH kakSitpustakaH kuraNTakamAlA nAtidUre bhUmI vRttAstaraNaM samastakam AkarSa- phalakaM dyUtaphalakaM ca | tasya bahiH krIDAzakunipajJjarANi ekAnte ca takSa- takSaNasthAnamanyAsAM ca krIDAnAm| svAstIrNA preGgAdolA vRkSavATikAyAM sapracchAyA sthaNDilapIThikA ca sakusumeti bhavanavinyAsaH || 4 ||
hk transliteration by SanscriptKamasutra
बाह्ये च वासगृहे सुश्लक्ष्णभयोपधानं मध्ये विनतं शुक्लोत्तरच्छदं शयनीयं स्यात् । प्रतिशयिका च तस्य शिरोभागे कूर्यस्थानम् वेदिका च तत्र रात्रिशेषमनु- लेपनं माल्यं सिक्थकरण्डकं सौगन्धिकपुटिका मातुलुङ्गत्वचस्ताम्बूलानि च स्युः । भूमौ पतद्ग्रहः । नागदन्तावसक्ता बीणा चित्रफलकम् वर्तिकासमुद्गकः । यः कक्षित्पुस्तकः कुरण्टकमाला नातिदूरे भूमी वृत्तास्तरणं समस्तकम् आकर्ष- फलकं द्यूतफलकं च । तस्य बहिः क्रीडाशकुनिपज्ञ्जराणि एकान्ते च तक्ष- तक्षणस्थानमन्यासां च क्रीडानाम्। स्वास्तीर्णा प्रेङ्गादोला वृक्षवाटिकायां सप्रच्छाया स्थण्डिलपीठिका च सकुसुमेति भवनविन्यासः ॥ ४ ॥
The antechamber, outside the private apartments, must be vast, pleasant, with a wide divan in the center covered with a white cloth. Close to this great bed, another similar one shall be placed, for the games of love.
english translation
गृहसज्जा निवासगृह के महाप्रकोड में नर्म और मुलायम (गद्देदार) पर्यङ्क (प बिछा हुआ होना चाहिये जो बीच में झुका हो उस पर सफेद धुली हुई चादर बिछी हुई हो और सिरहाने एवं पायताने दोनों ओर तकिये लगे हुए हों। पर्यङ्क के पास एक छोटी एवं सबित चारपाई रतिकर्म के लिए होनी चाहिये। उस पर्यक के सिरहाने कूर्यस्थान पर, समान ऊँचाई पर वेदिका होनी चाहिये। उस वैदिका पर रात्रि का अवशिष्ट अङ्गराग, पुष्पमालाएँ, मोमबत्ती, सुगन्धित पदार्थों की टोकरी (बाँस की छोटी डलिया), मातुलुङ्ग की छाल और पान रखे हुए हों। चारपाई के निकट भूमि पर पीकदान रखा हुआ हो। हाथीदाँत को खूँटी पर वीणा लटकी हुई हो। चित्र बनाने का फलक (कैनवस), कूँची (तूलिका) और रङ्गों के डिब्बे हों, कुछ पुस्तकें हों, और शीघ्र न मुरझाने वाली कुरण्टक पुष्प की माला हो। पास ही भूमि पर गोल आसन बिछा हुआ हो जिसके पीछे मसनद (गोल तकिया) लगा हुआ हो। द्यूतक्रीड़ा के लिये आकर्षफलक और द्यूतफलक हों। उसके बाहर क्रीड़ापक्षी (शुकसारिका आदि) पिंजड़ों में टैगे हुए हों। एकान्त में दारुकर्म (बढ़ईगिरी) तथा अन्य मनोविनोदों के लिए स्थान हों। वृक्षवाटिका में सघन छाया वाले लतामण्डप में झूला पड़ा हुआ हो। वहाँ बैठने के लिये पुष्पों से युक्त वेदिकाएँ या चबूतरे (बैंच) बने हों इस प्रकार भवन-विन्यास समाप्त हुआ ॥ ४ ॥
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bAhye ca vAsagRhe suzlakSNabhayopadhAnaM madhye vinataM zuklottaracchadaM zayanIyaM syAt | pratizayikA ca tasya zirobhAge kUryasthAnam vedikA ca tatra rAtrizeSamanu- lepanaM mAlyaM sikthakaraNDakaM saugandhikapuTikA mAtuluGgatvacastAmbUlAni ca syuH | bhUmau patadgrahaH | nAgadantAvasaktA bINA citraphalakam vartikAsamudgakaH | yaH kakSitpustakaH kuraNTakamAlA nAtidUre bhUmI vRttAstaraNaM samastakam AkarSa- phalakaM dyUtaphalakaM ca | tasya bahiH krIDAzakunipajJjarANi ekAnte ca takSa- takSaNasthAnamanyAsAM ca krIDAnAm| svAstIrNA preGgAdolA vRkSavATikAyAM sapracchAyA sthaNDilapIThikA ca sakusumeti bhavanavinyAsaH || 4 ||
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