श्लोकावत्र भवतः - इच्छा स्वभावतो जाता क्रियया परिबृंहिता । बुद्धधा संशोधितोद्वेगा स्थिरा स्यादनपायिनी ॥ ५५ ॥
Here is a quotation: "A desire that arises spontaneously increases with experience. From mutual understanding comes ardor, which, gradually, becomes a permanent feeling."
english translation
उपसंहार - इस विषय में दो आनुवंश्य श्लोक उद्धृत करते हैं- पुरुष सुन्दर स्त्री को चाहता है और स्त्री सुन्दर पुरुष को यह इच्छा स्वभावतः उत्पन्न होती है। ये सहज कामनाएँ परिचय और अभियोगों द्वारा बढ़ायी जा सकती हैं और बुद्धि से उद्वेगों का संशोधन कर इस प्रकार की कामनाएँ स्थायी बनायी जा सकती हैं ॥ ५५ ॥