Progress:3.9%
वायुः पित्तं कफश्चेति त्रयो दोषाः समासतः I विकृताऽविकृता देहं घ्नन्ति ते वर्तयन्ति च ॥6॥
sanskrit
संक्षेप में कहें तो, वात, पित्त और कफ तीन दोष (कार्यात्मक इकाइयाँ या जैविक शक्तियाँ) हैं जो शरीर में विद्यमान हैं। ये तीनों दोष संतुलन अवस्था में शरीर को स्वस्थ रखते हैं और बिगड़ी अवस्था में रोग उत्पन्न करते हैं।
english translation
hindi translation
vAyuH pittaM kaphazceti trayo doSAH samAsataH I vikRtA'vikRtA dehaM ghnanti te vartayanti ca ||6||
hk transliteration
Astanga Hrudaya
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वायुः पित्तं कफश्चेति त्रयो दोषाः समासतः I विकृताऽविकृता देहं घ्नन्ति ते वर्तयन्ति च ॥6॥
sanskrit
संक्षेप में कहें तो, वात, पित्त और कफ तीन दोष (कार्यात्मक इकाइयाँ या जैविक शक्तियाँ) हैं जो शरीर में विद्यमान हैं। ये तीनों दोष संतुलन अवस्था में शरीर को स्वस्थ रखते हैं और बिगड़ी अवस्था में रोग उत्पन्न करते हैं।
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vAyuH pittaM kaphazceti trayo doSAH samAsataH I vikRtA'vikRtA dehaM ghnanti te vartayanti ca ||6||
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