भिषग्द्रव्याण्युपस्थाता रोगी पादचतुष्टयम् । चिकित्सितस्य निर्दिष्टं, प्रत्येकं तच्चतुर्गुणम् ॥२७॥
[Chikitsa Chatushpada] Bhishag (Doctor), Dravya (medicine), Upastha (Nurse) and Rogi (patient) are the four factors in treatment. Each of these four have further four qualities.
english translation
चिकित्सा के चार पाद — चिकित्सा-कर्म के चार पाद ( चरण या विभाग) माने जाते हैं। जैसे- १. भिषक् (वैद्य या चिकित्सक), २. द्रव्य ( मैनफल आदि वमनकारक अर्थात् शोधन द्रव्य, गुरुच आदि शमन द्रव्य तथा बस्ति आदि शोधन उपकरण ), ३. उपस्थाता ( उप समीपे तिष्ठतीति ) – परिचारक ( जो रोगी के पास में रहकर उसकी देख-भाल करे; उसे उठाये बैठाये, खिलाये, पिलाये तथा मल-मूत्र करने में सहायता करे ) और ४. रोगी । इन चारों में प्रत्येक में चार-चार गुण होने चाहिए I
hindi translation
bhiSagdravyANyupasthAtA rogI pAdacatuSTayam | cikitsitasya nirdiSTaM, pratyekaM taccaturguNam ||27||
hk transliteration by Sanscript