एवं धर्मकामावप्यनयैव युक्त्योदाहरेत्। सङ्किरेच्च परस्परेण व्यतिषक्षयेच्चेत्युभयतोयोगाः ।। ४३ ।।
Having determined the relation between duty [dharma] and pleasure [kama], their relative importance must be considered before establishing relations.
english translation
अवशिष्टों के शुद्ध, सङ्कीर्ण और संश्लिष्ट - जिस युक्ति से अर्थ के शुद्ध उभयतो योग बताये गये हैं उसी युक्ति से धर्म और काम के भी शुद्ध उभयतो योग बना लें, अर्थ के समान ही इनके सङ्कीर्ण उभयतो योग भी बना लें, और फिर उनके विरोधी भाव हटाकर उन्हें परस्पर संश्लिष्ट भी कर दें ।। ४३ ।।