अर्थः परिमितावच्छेदः, अनर्थः पुनः सकृत्प्रसृतो न ज्ञायते क्वावतिष्ठत इति वात्स्यायनः ॥ २५ ॥
According to Vatsyayana, earnings may be meager, but if no money is produced by what one does, one will not know what to live on.
english translation
अर्थ की प्राप्ति तो नियमित रूप से होती हो रहती है, किन्तु यदि अनर्थ एक बार प्रारम्भ हो जाये तो पता नहीं कब तक चलता रहे, इसलिये पहले उस पर ही ध्यान देना चाहिये- ऐसा आचार्य वात्स्यायन का मत है॥ २५ ॥