"In practicing the sixty-four positions described by the sons of Babhru with the best women, a man realizes his aim in life.
english translation
अधिकरण का उपसंहार इस विषय में कुछ आनुवंश्य श्लोक देते हैं-आचार्य बाभ्रव्य द्वारा कथित पांचालिकी चतुःषटि (चौंसठ कामकलाओं) का प्रयोग श्रेष्ठ खियों (स्वकीया या कुलाङ्गनाओं) में करके नायक अनुपम सिद्धि को प्राप्त करता है ॥ ३४ ॥