श्रीशुक उवाच एवं पुरा धारणयाऽऽत्मयोनिर्नष्टां स्मृतिं प्रत्यवरुध्य तुष्टात् । तथा ससर्जेदममोघदृष्टिर्यथाप्ययात्प्राग्व्यवसायबुद्धिः ।। २-२-१ ।।
Śrī Śukadeva Gosvāmī said: Formerly, prior to the manifestation of the cosmos, Lord Brahmā, by meditating on the virāṭ-rūpa, regained his lost consciousness by appeasing the Lord. Thus he was able to rebuild the creation as it was before. ।। 2-2-1 ।।
english translation
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा : इस ब्रह्माण्ड के प्राकट्य के पूर्व, ब्रह्माजी ने विराट रूप के ध्यान द्वारा भगवान् को प्रसन्न करके विलुप्त हो चुकी अपनी चेतना प्राप्त की। इस तरह वे सृष्टि का पूर्ववत् पुनर्निर्माण कर सके। ।। २-२-१ ।।