गुणेषु सोपभोगेषु सुखसाकल्यं तस्मात्ततो विशेष इति गोनर्दीयः ॥ ३४ ॥
It is by experiencing their erotic qualities that a woman makes her choice, Gonardiya explains.
english translation
यदि पुनर्भू छोड़े गये दूसरे और तीसरे नायक से चौथे नायक में समस्त भोगों की सुलभता देखे, तो चौथे स्थान पर भी जा सकती है—यह आचार्य गोनर्दीय का अभिमत है, लेकिन इससे आगे उसे नहीं बढ़ना चाहिये ॥ ३४ ॥