Chanakya Neeti

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पीतः क्रुद्धेन तातश्चरणतलहतो वल्लभो येन रोषाद् आबाल्याद्विप्रवर्यैः स्ववदनविवरे धार्यते वैरिणी मे । गेहं मे छेदयन्ति पर्तिदिवसमुमाकान्तपूजानिमित्तं तस्मात्खिन्ना सदाहं द्विजकुलनिलयं नाथ युक्तं त्यजामि ॥१६॥

sanskrit

लक्ष्मी माता भगवान विष्णु से कहती हैं - जिसने (ऋषि अगस्त) रुष्ट होकर मेरे पिता समुद्र (लक्ष्मीजी समुद्र से उत्पन्न हुईं थीं) को पी डाला और जिसने (ऋषि भृगु क्रोध में भर कर मेरे पति (भगवान विष्णु) के लात मारी और जो ब्राह्मण सदा लड़कपन से मेरी स्पर्धक सरस्वती की कृपा चाहते हैं तथा प्रतिदिन पार्वती के पति (भगवान शिव) की पूजा के निमित्त मेरे गृह कमलपुष को तोड़ते हैं। हे नाथ! इससे खिन्न होकर मैं उन ब्राह्मणों के घर में कभी निवास नहीं करती I

english translation

hindi translation

pItaH kruddhena tAtazcaraNatalahato vallabho yena roSAd AbAlyAdvipravaryaiH svavadanavivare dhAryate vairiNI me | gehaM me chedayanti partidivasamumAkAntapUjAnimittaM tasmAtkhinnA sadAhaM dvijakulanilayaM nAtha yuktaM tyajAmi ||16||

hk transliteration